१८.०१.०५
अगर बरबादी ही है अन्जाम मेरा
तो देखे खुदाई ताहेयात तक
जो हम भी सीना तान कर
चलते जाऐंगे ।।
खुदा खुदा रहा ।
और यह सब हो गया ।
वाह क्या खुदा है ।।
अल्ला ईश ईसा में तकरार हुई ।
दुरग्गत इन्सान की हुई ।
तवारीख में यूँ ही
एक दास्तान हो गई ।।
ऊपर दिए गए तीन आषारों में बाद के आषार शुनामी की तबाही देखने के बाद लिखे गए थे । तीसरा आषार ऐजुकेशन फोरम में लिखे गए एक निबन्ध पर है I उस निबन्ध में मार्टिन कैटल ने शुनामी को मुसलमानों एंव हिन्दुयों पर परमात्मा की मार बताया था I दुसरे यरोपिए लेखकों ने उस लेख की निन्दा की थी I मेरी यह रचना उस पर प्रतििक्रया थी जिसे मैं यहां प्रकाशित कर रहां हुँ I
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