Tuesday, August 02, 2005

सहकना बन्‍द कर पाऐं

लोग बताऐं हैं सुन कर हम को
कि यह अपने दर्द की मारफ्‍त बोलता है ।
ज़ख्‍मों से हमारे अपने तीर तो निकालो
जो यह रिसना बन्‍द कर पाऐं
और हम सहकना बन्‍द कर पाऐं ।।

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