Saturday, July 30, 2005

एक दास्‍तान हो गई

१८.०१.०५

अगर बरबादी ही है अन्‍जाम मेरा
तो देखे खुदाई ताहेयात तक
जो हम भी सीना तान कर
चलते जाऐंगे ।।




खुदा खुदा रहा ।
और यह सब हो गया ।
वाह क्‍या खुदा है ।।


अल्‍ला ईश ईसा में तकरार हुई ।
दुरग्‍गत इन्‍सान की हुई ।
तवारीख में यूँ ही
एक दास्‍तान हो गई ।।




ऊपर दिए गए तीन आषारों में बाद के आषार शुनामी की तबाही देखने के बाद लिखे गए थे । तीसरा आषार ऐजुकेशन फोरम में लिखे गए एक निबन्‍ध पर है I उस निबन्‍ध में मा‍र्टिन कैटल ने शुनामी को मुसलमानों एंव हिन्‍दुयों पर परमात्‍मा की मार बताया था I दुसरे यरोपिए लेखकों ने उस लेख की निन्‍दा की थी I मेरी यह रचना उस पर प्रतििक्रया थी जिसे मैं यहां प्रकाशित कर रहां हुँ I

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